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गठिया, सायटिका, कमर - गर्दन दर्द, स्लिप डिस्क एवं अन्य हड्डी रोगों का जड़ से इलाज मात्र 1299* रुपए में

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  • *1299 रुपए में 30 दिन की दवा
  • 3 Month Course*(T&C Apply)
  • गठिया का इलाज
  • कमर दर्द का इलाज
  • गर्दन दर्द (सर्वाइकल) का इलाज
  • सायटिका का इलाज
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हम किन रोगों का इलाज करते हैं?



✅ Backache कमर दर्द

लम्बे समय से कमर में दर्द, चुभन, अकड़न रहना



✅ Gout गठिया

शरीर के सभी जोड़ों में दर्द होना, सूजन रहना



✅ Cervical Spondylosis गर्दन दर्द

लम्बे समय से गर्दन में दर्द एवं अकड़न रहना



✅ Sciatica सायटिका

किसी एक पैर में कूल्हों से लेकर पैर के अंगूठे तक दर्द एवं खिंचाव रहना



✅ Calcaneal Spur एड़ी में दर्द

लम्बे समय से एड़ी में दर्द एवं झनझनाहट रहना



✅ Slip Disc स्लिप डिस्क

कमर में दर्द एवं खिंचाव का रहना



✅ Arthritis घुटने में दर्द

लम्बे समय से घुटने में दर्द रहना, कट कट आवाज आना



✅ Parkinson Disease पार्किंसन डिजीज

शरीर के अंगों में कंपन महसूस होना



✅ Lumber spondylitis लंबर स्पॉन्डिलाइटिस

मांसपेशियों में खिचाव व कमर में दर्द।



✅ Tumor (Bone) बोन ट्यूमर

हड्डी के ऊतकों में असाधारण वृद्धि ,हड्डियों का कमजोर होना।



✅ Anylosing Spondylitis एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस

कमर में निचले हिस्से में दर्द , आराम करने पर दर्द बढ़ना।



✅ Bone Tuberculosis बोन टीबी

फेफड़े व शरीर के अन्य हिस्सों का संक्रमित होना ,उनमे घाव /फोड़ा होना।



✅ Ganglion गैग्लियन

हाथ /शरीर की ऊपरी त्वचा में गांठ होना ,दर्द होना।



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How our treatment works?

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  • Step 2 : हमारे विशेषज्ञ आपके मर्ज की पूर्ण जानकारी लेंगे एवं दवाओं की होम डिलीवरी के लिए आपका पता लेंगे।
  • Step 3 : आपके मर्ज के आधार पर उचित दवाओं का चयन करके आपको कूरियर किया जायेगा।
  • Step 4 : दवा डिलीवर होने के बाद हमारी टीम आपसे संपर्क करेगी एवं दवा समझायी जाएगी।
  • Step 5 : आपके इलाज के दौरान हमारी टीम आपको समय समय पर काल करती रहेगी।
  • Step 6 : इलाज के दौरान किसी भी समस्या के लिए आप हमारे डॉक्टर्स के साथ अपॉइंटमेंट ले सकते हैं ।
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⭕ Home Delivery

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⭕ Complete Treatment

बवासीर / भगंदर का इलाज होमियोपैथी पद्धति में जड़ से होता है



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Dr. Deeksha Katiyar WeClinic Homeopathy Kanpur

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सायटिका क्या होता है ?

सायटिका के लक्षण क्या हैं ?

  • सियाटिका नस से होकर आपके पीठ के निचले हिस्से में होता है
  • ये किसी एक पैर में होता है दाये या बाये पैर में होता है
  • ये आपके कमर कुल्हो जांघो से होकर नीचे पंजे के अंगूठे में होता है
  • इसके सामान्य लक्षण है - पैरों का सुन्न होना ,झनझनाहट होना , तेज़ दर्द होना , अकड़न रहना , पैरों में भारीपन महसूस होना
  • ये समस्या आपकी L1 L2 L3 L4 L5 L6 या S1 में गैप होने या दबने के कारण ये होती है
  • ये सामान्यतः कमर में झटका लगने चोट लगने या क्षमता से अधिक व
  • जन उठाने के कारण होता है
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Cervical Treatment WeClinic Homeopathy

गर्दन दर्द (cervical spondylitis) क्या होता है

Cervical spondylitis के लक्षण क्या हैं ?

  • गर्दन दर्द जिसे हम सर्वाइकल स्पोंडिलिटिस के नाम से जानते है
  • इसमें रोगी के गर्दन में तेज दर्द एवं अकड़न का अहसास होता है
  • सिर में तेज दर्द महसूस होता है एवं सिर भारी लगता है
  • ये गर्दन के पीछे निचले हिस्से से शुरू होता है
  • इसमें कई बार आपके कंधे हाथ एवं अँगुलियों में दर्द का अहसास होता है
  • इसमें रोगी के पीठ में भी तेज दर्द एवं अकड़न होती है
  • ये गर्दन में C1 C2 C3 C4 C5 C6नसों में गैप या नसों के दबने के कारण होता है
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आईये सभी प्रकार की बिमारियों को विस्तार में समझते हैं

एन्कियलूज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis) के लक्षण, कारण एवं इसका इलाज 

एन्कियलूज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis) हड्डियों से सम्बंधित रोग है, यह आर्थराइटिस (गठिया) का ही एक प्रकार है, यह ऐसी अवस्था है जिसे ज़्यादातर सामान्य पीठ दर्द मान लिया जाता है ,लेकिन वास्तव में यह रीढ़ में सूजन सम्बन्धी समस्या होती है,जिसमे रीढ़ की हड्डी से लेकर गर्दन तक दर्द होता है ये शिकायत अमूमन 25 -35 वर्ष की आयु में देखने को मिलता है आकड़ों के अनुसार 0.1 -0.8 तक लोगो में देखी जा सकती है। 

एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस क्या है ?

एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस को इंफ्लेमेटरी डिजीज माना जाता है ,जो प्रतिरक्षा प्रणाली के ख़राब होने के कारण होता है। 90 % से ज्यादा रोगियों में HLA-B27 प्रतिजन होता है ,अधिकांश मामलो में यह शिकायत पुरुषो में ज्यादा देखने को मिलती है ,इसमें मरीज़ के कोशिकाओं यानि वेर्टेब्रा के बीच सूजन आने की वजह से रीढ़ के जोड़ो और लिगामेंट्स में अकड़न महसूस होती है सरल शब्दों में समझे तो रीढ़ की हड्डी में अकड़न हो जाती है , और रीढ़ का लचीलापन खत्म होने लगता  है जिससे शरीर आगे की ओर झुकने लगता है। 

आइये समझते है कि एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस  को कैसे पहचाने ? 

अगर मरीज़  को सुबह उठते समय गर्दन में दर्द ,रीढ़ में अकड़न या पीठ के निचले हिस्से में (नितम्ब ) में दर्द महसूस होता  हो और यह स्थिति लम्बे  समय तक  बनी रहे तो सावधान हो जाए ये एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस के लक्षण होते है बिना देर किये डॉक्टर से परामर्श करे। 

एंकिलोज़िंग  स्पॉन्डिलाइटिस के सामान्य लक्षण - शुरुआती दौर में अंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस के मरीज़ को सुबह उठने पर  पीठ में दर्द व अकड़न महसूस होती है ,लेकिन समय के साथ इसके लक्षण बदतर हो जाते है ,इसके कुछ अन्य सामान्य लक्षण है...

 

 

एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस होने का कारण क्या है ? 

एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस का कोई ज्ञात विशेष कारण नहीं है, हालाँकि इससे प्रभावित अधिकांश लोग HLA-B27 प्रतिजन से पॉजिटिव होते है या HLA-B27 पॉजिटिव लोगो के रिश्तेदार। हालाँकि जरुरी नहीं है कि सभी में  HLA-B27 प्रतिजन पॉजिटिव हो। लेकिन HLA-B27 प्रतिजन पॉजिटिव से प्रभावित लोग ज्यादा एंकिलोज़िंग  स्पॉन्डिलाइटिस के लिए संवेदनशील  होते है, इसके अलावा प्रतिरक्षा प्रणाली के ख़राब होने के कारण भी यह हो सकता है। 

आइये समझते है कि एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस हमारे शरीर को कैसे प्रभावित करता है -

एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस से पीड़ित मरीज़ को शरीर के जोड़ो खासकर पीठ कमर और कूल्हों में दर्द व अकड़न की शिकायत  होने लगती है ,ये समस्या सुबह या आराम करने के बाद ज्यादा  महसूस होती है जिससे मरीज़ को चलने उठने बैठने में बहुत दिक्कत होती है अमूमन यह समस्या पुरुषो में ज्यादा देखने को मिलती है। यह मरीज़ के अन्य जोड़ो जैसे -गर्दन ,कंधे ,पीठ , कमर के साथ साथ शरीर के छोटे जोड़ो को भी प्रभवित  करता है। मरीज़ को बुखार ,कमजोरी ,सांस लेने में परेशानी की समस्याएं भी रहती है। कई बार जोड़ो में दर्द व अकड़न के साथ साथ जोड़ो में सूजन की शिकायत भी हो जाती है। 

 

 

 

 

Arthritis - घुटने में दर्द होने के कारण व इसका इलाज 

घुटने शरीर का महत्वपूर्ण भाग होते है ,जो हमे उठने ,चलने या दैनिक जीवन के दूसरे अनेक कार्यों को बिना किसी परेशानी का सामना किये आसानी से पूरा करने में मदद करते है। किन्तु आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में ख़राब खान पान के कारण ये समस्याएं उत्पन्न होती है इसके अतिरिक्त बढ़ती उम्र में आमतौर पर यह 40 से 45 की उम्र में घुटने दर्द की शिकायत होने लगती है, ,चोट या गठिया होने पर भी ये समस्याएं देखने को मिलती है।

घुटने में दर्द होने के कारण क्या है ?
घुटने में दर्द होने की कई वजह होती है। अक्सर हम दौड़ते ,चलते ,खेलते ,यात्रा करते समय घुटने में चोट लग जाती है जिसके कारण घुटने में दर्द होने लगता है चोट लगने के कारण दर्द होना सामान्य सी बात है। लेकिन दिक्कत तब ज्यादा बढ़ जाती है जब घुटने में दर्द होने का कारण आर्थराइटिस होता है।घुटने से कट कट की आवाज आना ,घुटने सीधे करने में परेशानी होना ,घुटने के आस पास सूजन ,लालपन और दर्द रहना।

इसके अतिरिक्त इसके अन्य कारण भी होते है,जैसे-

घुटने में दर्द से होने वाली समस्याएं -

 

 

 

 

कमर दर्द के लक्षण, कारण एवं इसका इलाज 

निष्क्रिय जीवनशैली, कार्य संस्कृति, नौकरी की मांग और पोषण की कमी के कारण कमर में दर्द होना अब एक आम समस्या बन चुकी है। यह समस्या किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। वर्तमान समय में यह समस्या अब  युवाओं में अधिक देखने को मिल रही  है ,जिसमे लड़के और लड़कियां दोनों शामिल हैं।

कमर दर्द -आमतौर पर हम कमर दर्द को एक आम दर्द समझकर हम नजरअंदाज करने लगते है और यह धीरे - धीरे गंभीर रूप ले लेती है जिससे व्यक्ति को अपने दैनिक कार्यों को करने में अत्यधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। अतः यदि आप काफी लम्बे समय से कमर दर्द की समस्या से परेशान है तो इसे नजरअंदाज न करे ,बल्कि जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क कर अपना उचित इलाज करायें। 

 

कमर दर्द की गंभीर स्थिति होने पर कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार दिखाई देते है जैसे -

कमर में दर्द होने के कारण - आज के समय में कमर दर्द एक सामान्य समस्या बन चुकी है, आज हमारा जीवन टेक्नोलॉजी से घिरा हुआ है। बिना लैपटॉप या मोबाइल के कोई भी काम करना या अपना जीवन बिताना काफी मुश्किल है। आवश्यक्तानुसार मोबाइल या लैपटॉप का इस्तेमाल करना ठीक है ,लेकिन एक ही पोजीशन में लम्बे समय तक रहना या घंटो काम करना कमर पर दबाव डालता है। 

इसके अतिरिक्त कमर में दर्द होने कई अन्य कारण भी होते है, आइये जानते है -

 कमर दर्द से बचाव के कुछ तरीके इस प्रकार है -

 

 

 

 

Calcaneal Spur - एड़ी दर्द के लक्षण, कारण एवं इलाज 

एड़ी का दर्द पैर की सबसे आम समस्या है। इसमें मरीज़ को एड़ी के निचले हिस्से में दर्द होता है ,इसे  प्लांटर फैसिसाइटिस कहते है। यह आमतौर पर स्वतः ठीक हो जाता है ,लेकिन यदि लम्बे समय तक एड़ी में दर्द रहना चिंताजनक स्थिति होती है। इसमें सामान्य तौर पर मरीज़ को सुबह -सुबह परेशानी ज्यादा होती है ,जमीन पर पैर रखते ही एड़ी के निचले हिस्से में तेज दर्द और चुभन सी महसूस होती है कई बार यह दर्द असहनीय भी हो जाता है। जिससे मरीज़ को चलने फिरने में समस्या होती है। 

यह समस्या किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है,एड़ी में दर्द का एक अन्य कारण शरीर में यूरिक एसिड के स्तर के बढ़ने को भी माना जाता है। एड़ियों में दर्द होने की कई अन्य वजह भी हो सकती है जैसे -

 एड़ी के दर्द के गंभीर स्थिति होने पर - कई बार हम एड़ी के दर्द को सामान्य सा दर्द समझ कर नजरअंदाज करने लगते है ,किन्तु यदि यह समस्या लम्बे समय तक रहती है तो यह गंभीर रूप ले लेती है जिससे रोजमर्रा के कार्यो में भी मरीज़ को अत्यधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके गंभीर स्थिति होने पर कुछ इस प्रकार के प्रभाव दिखाई देते है -

आइये समझते है एड़ी की हड्डी का बढ़ना क्या है और इससे होने वाली परेशानियां - 

एड़ी की हड्डी के बढ़ने को बोन स्पर या calcaneal Spur कहते है। यह एक ऐसी  स्थिति है ,जिसमे एड़ी और पंजे के बीच के हिस्से में कैल्सियम के जमा होने के कारण हड्डी जैसा उभार हो जाता है,जिससे मरीज़ को चलने फिरने में तकलीफ महसूस होती है। 

 

आइये समझते है ,आखिर हड्डी के बढ़ने का कारण क्या है ?

हड्डी के बढ़ने को बोन स्पर या calcaneal Spur कहते है। हड्डी बढ़ने में जब हड्डी में किसी तरह की खराबी आती है ,जिसे हड्डी खुद ही रिपेयर करती है। इसी क्षतिपूर्ति के दौरान जब जमा हुआ कैल्सियम ज्यादा जमा हो जाता है। और बार बार डैमेज होने की स्थिति में ,और कैल्शियम के निरंतर जमाव से हड्डी बढ़ने शुरू हो जाती है। 

आइये अब समझते है कि इसे पहचाने कैसे ?

सुबह - सुबह उठने पर जैसे पैर जमीन पर रखते है ,उस समय एड़ी में सुई जैसी चुभन महसूस होती है और प्रभावित जगह में उभार सा दिखाई देता है ,तो ये हड्डी के बढ़ने के शुरुआती लक्षण होते है। 

एड़ी की हड्डी बढ़ने के लक्षण -

एड़ी के दर्द से बचाव के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होता है जैसे -

 

 

 

 

सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस (cervical Spondylosis) के लक्षण ,कारण एवं इसका इलाज  -

आज के वर्तमान युग में जहाँ टेक्नोलॉजी दिन प्रतिदिन हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनती जा रही है वही यह अनेक समस्याओं को भी उत्पन्न कर रही है। ऐसी ही अनेक समस्याओं में सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस  की समस्या है, जो ज्यादातर युवाओ में घंटो सिस्टम पर काम करने की वजह से या खराब जीवनशैली  की वजह से आम बात होती जा रही है। पिछले कुछ सालो में यह दिक्कत युवाओं में 60 फीसदी तक बढ़ी है। ये समस्याएं अब न केवल युवाओं में बल्कि बच्चो में भी देखने को मिल रही है। 

आइये विस्तार से समझते है कि ,सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस (cervical Spondylosis) क्या है? और यह हमारे शरीर को कैसे प्रभावित करता है  ?

सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस को एक लाइफस्टाइल डिजीज माना जाता है, यह समस्या अमूमन युवाओं में कम्प्यूटर या मोबाइल पर घंटो गलत पोजीशन में बैठकर काम करने की वजह से देखी जाती है। यह समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है ,इसमें मरीज़ को गर्दन की माँसपेशियों में व रीड़ की हड्डी में अकड़न व दर्द महसूस होता है ,जिसकी वजह से मरीज़ को सर में दर्द, चक्कर व उल्टी होने की शिकायत रहती है। 

 सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस (cervical Spondylosis क्या है?

सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस आपकी गर्दन में स्थित रीढ़ की हड्डी के ख़राब होने की स्थिति होती है ,जैसे जैसे आपकी उम्र बढ़ती जाती है डिस्क डीहाइड्रेट और सिकुड़ने लगती है। और स्पाइन अपना लचीलापन खोने लगती है। लेकिन आज के वर्तमान समय में अब यह समस्या आम होती जा रही है और इसके कई कारण बताएं जाते है। 

सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस के कारण क्या है  - सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस को एक लाइफस्टाइल डिजीज माना जाता है, यह समस्या अमूमन युवाओं में कम्प्यूटर या मोबाइल पर घंटो गलत पोजीशन में बैठकर काम करने की वजह से देखी जाती है ,इसके अलावा वजन को झटके से उठाना,गलत तरीके से सोना,व्यायाम  न करना, तनाव अधिक लेना आदि  इसके कारण है। इसके अतिरिक्त बढ़ती उम्र के साथ भी यह समस्या मरीज़ों में देखने को मिलती है। 

 

क्षमता से अधिक वजन के उठाने से गर्दन की नसों में खिचाव आ जाता है जिससे नसे (C3-C4 ,C4-C5 ,C5-C6) में दबाव पड़ता है, खून का संचार ठीक से न हो पाने की वजह से मरीज़ को गर्दन कंधे हाथों में भारीपन खिचाव अकड़न व सुन्नपन महसूस होता है। कई बार ये दर्द हाथ की अँगुलियों में भी आ जाता है गंभीर स्थिति में मरीज़ को गर्दन हाथ व अँगुलियों के मूवमेंट में दिक्कत होती है , सर में दर्द कमजोरी चक्कर उलटी होने की शिकायत भी रहती है। 

आइये समझते  है ,सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस के सामान्य लक्षण क्या है?

सामान्यतः इसमें मरीज़ को गर्दन में दर्द , मांसपेशियों में खिचाव और कमजोरी महसूस होती है ,लम्बे समय तक रहने पर यह समस्या गंभीर रूप ले लेती है। आइये विस्तार से समझते है - 

 

आइये विस्तार से समझते है -

1 . गर्दन में दर्द (Neck Pain) - इसमें गर्दन के पीछे की तरफ मरीज़ को दर्द व अकड़न महसूस होती है ,कई बार कंधो में भी ये दर्द महसूस होता है। इसमें मरीज़ को मूवमेंट करने में समस्या होती है जैसे -

2 .मांसपेशियों में कमजोरी -इसमें मरीज़ को हाथों के मूवमेंट जैसे हाथों को ऊपर उठाना , किसी चीज़ को मजबूती से पकड़ना आदि में दिक्कत महसूस होती है।  

3 .गर्दन की मांसपेशियों में अकड़न महसूस होती है। 

4 .सिर के पीछे दर्द होना। 

5 . कंधे में सुन्नपन रहना।   

 इसके कुछ अन्य सामान्य लक्षण भी देखने को मिलते है जैसे  -

सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस (cervical Spondylosis से शरीर में पड़ने वाला प्रभाव -

सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस की समस्या व्यक्ति के जीवन को अत्यधिक प्रभावित करती है इसकी वजह से व्यक्ति अपने आसान से आसान कार्यों को भी करने में असक्षम महसूस करने लगता है। मरीज़ को चलने उठने बैठने में बहुत परेशानी महसूस होती है। शुरुआती दौर में हम इसे सामान्य सा गर्दन दर्द समझ कर नजरअंदाज करने लगते है लेकिन लम्बे समय तक यह स्थिति रहने पर यह गंभीर रूप ले लेती है। अतः लापरवाही न करे और जल्द से जल्द डॉक्टर से अपना इलाज करायें। 

 इन समस्यों के मरीज़ को  हमारे विषेशज्ञों के द्वारा कुछ जांचे सजेस्ट की जाती है जैसे  -

आइये अब जानते है इससे बचाव  के लिए क्या करे -

 

 

 

 

गैग्लियन (Ganglion Cyst)के लक्षण ,कारण एवं इसका इलाज 

गैग्लियन (Ganglion Cyst) एक प्रकार की गांठ होती है जो शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है ,यह त्वचा के ऊपरी हिस्से पर होती है ज्यादातर यह गांठ हाथ और कलाई के आस पास देखने को मिलती है। इसमें आमतौर पर किसी प्रकार का दर्द नहीं होता है और न ही इससे शरीर को किसी प्रकार का कोई नुकसान पहुँचता है। कई बार ये गांठ दर्द युक्त भी हो सकती है ऐसे स्थिति में गांठ में द्रव /पस जैसा रहता है और प्रभावित जगह को मूव करने पर दर्द महसूस होता है।

आइये समझते है ,गैग्लियन (Ganglion Cyst) क्या है ?

गैग्लियन सिस्ट एक प्रकार की गांठ होती है ,जिसमे पस/द्रव होने या सूजन होने की शिकायत रहती है ,यह गांठ आकर में छोटी या बड़ी हो सकती है। यह  ज्यादातर कलाई के पीछे ऊपरी व नीचे की तरफ ,अँगुलियों के जोड़ो की तरफ अधिक होती है। इसके अलावा यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। 

गैग्लियन सिस्ट क्यों होती है ?

गैग्लियन सिस्ट होने के सटीक कारण का पता अभी तक नहीं चल पाया है ,लेकिन डॉक्टर्स बताते है जब टिश्यू ब्रेक होने लगते है तो यह गांठ बन जाती है। इसके अतिरिक्त यह जोड़ो में जलन ,गठिया ,चोट या शरीर में हार्मोनल बदलाव के कारण भी हो सकती है। 

 

आइये गैग्लियन सिस्ट के कुछ सामान्य लक्षणों को देखे -

 

 

 

 

गाउट (गठिया ) के लक्षण ,कारण व इसका इलाज 

स्वस्थ शरीर मानव जीवन की सबसे बड़ी पूंजी होती है, और हम चाहते है कि जब तक हम जीवित रहे चलते फिरते रहें और अपना काम स्वयं करने में सक्षम रहे, लेकिन गाउट एक ऐसी समस्या है जो व्यक्ति के रोजमर्रा के आसान से आसान कार्य को भी मुश्किल बना देती है। यहां हम इसी समस्या के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और समझेंगे कि गाउट क्या है ?  और यह क्यों इतनी पीड़ादायक है ?

आइये समझते है ,गाउट (गठिया) क्या है - गाउट को यदि हम सरल सरल शब्दों में समझे तो यह जोड़ो में सूजन की समस्या होती है , जिसमे मरीज़ को जोड़ो में दर्द , सूजन , लालपन और प्रभावित जगह में गर्माहट महसूस होती है। यह समस्या पुरुषों में  महिलाओं की तुलना में अधिक देखने को मिलती है। 

गाउट (गठिया ) दो प्रकार के होते है 

 

गाउट (गठिया) रोग होने के कारण - यह रोग प्यूरिन नामक प्रोटीन के मेटाबोलिज्म के विकृति के कारण से होता है सरल शब्दों में समझे तो इसमें मरीज़ के  खून में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है ,जिससे यूरिक एसिड के क्रिस्टल जोड़ो में इकठ्ठा हो जाता है और जिससे मरीज़ को चलने उठने बैठने में दिक्कत होती है। 

गाउट होने का मुख्य कारण यूरिक एसिड को माना जाता है आइये समझने की कोशिश करते है कि यूरिक एसिड क्या है और यह मानव शरीर को कैसे प्रभावित करता है। ...?

यूरिक एसिड (Uric Acid )  -जब किसी वजह से किडनी की फ़िल्टर  यानि छानने की क्षमता कम हो जाती है तो यूरिया यूरिक एसिड में परिवर्तित हो जाता है जो हड्डियों  में जमा हो जाता है। यूरिक एसिड शरीर के सेल्स और उन  चीज़ों से बनता है जो हम खाते है .यूरिक एसिड का ज्यादातर हिस्सा किडनियों के जरिये फ़िल्टर हो जाता है जो टॉयलेट के जरिये शरीर से  बाहर आ जाता है , लेकिन यदि यूरिक एसिड शरीर में ज्यादा बन रहा है या किडनी फ़िल्टर नहीं कर पाती तो खून में यूरिक एसिड का लेवल बढ़  जाता है। बाद में यह हड्डियों के बीच में जमा हो जाता है और इससे गाउट की समस्या पैदा हो जाती है। 

आइये जानते है यूरिक एसिड बढ़ने का कारण क्या होते है ? 

आधुनिक जीवनशैली व गलत खान पान को यूरिक एसिड बढ़ने के मुख्य कारण माना  जाता है, इसके अलावा कुछ अन्य कारण भी बताए जाते है। 

कैसे पहचाने कि शरीर में यूरिक एसिड बढ़ रहा है ? 

शुरुआती दौर में मरीज़ को पता भी नहीं लग पाता  ,ज्यादातर लोगो को इस बात की  जानकारी भी नहीं होती है। इसे हम कुछ लक्षणों से पहचान सकते है जैसे -

आइये अब समझते है कि ,गाउट (गठिया) की समस्या को हम समय रहते कैसे पहचाने ? - जब किसी व्यक्ति को अचानक से जोड़ो में दर्द शुरू हो जाता है या सूजन की शिकायत हो जाती है , आमतौर पर यह समस्या पैर के अंगूठे से शुरू होती है इसमें मरीज को दर्द, सूजन व लालपन की शिकायत हो जाती है। यदि समय रहते ध्यान न दिया जाए तो यह मरीज़ के अन्य जोड़ो जैसे - घुटने , टखने ,कोहनी ,कलाई और हाथों की अँगुलियों को भी प्रभावित करता है। 

गाउट के सामान्य लक्षण क्या होते है -

 गाउट में प्रभावित जोड़ - इसमें 70 प्रतिशत लोगो को अपने पैर के अंगूठे में होता है , इसके अलावा यह एक ही समय में एक या एक से अधिक जोड़ो में हो सकता है , जैसे -

   गाउट को मुख्यतः दो भागो में विभाजित किया जाता है। 

  1. अल्पकालीन गाउट ( Acute Gout ) 
  2. दीर्घकालीन गाउट। (Chronic Gout) 

आइये समझते है की अल्पकालीन और दीर्घकालीन गाउट क्या होता है ?

 

गाउट  के लिए प्रमुख जांचें जो डॉक्टर्स द्वारा बताई जाती है -

गाउट के  मरीज़ को कुछ चीज़ों से परहेज करना होता है -

 

 

 

 

लंबर स्पॉन्डिलाइटिस  होने के लक्षण ,कारण एवं इसका इलाज 

आधुनिकीकरण के इस युग में बदलती कार्य संस्कृति व भोजन में पोषण की कमी कई सारी समस्याओं को जन्म दे रही है ,घंटो लैपटॉप या मोबाइल फ़ोन का उपयोग एवं गलत पोस्चर में बैठना इन समस्याओं को और बढ़ाता जा रहा है ,ये समस्याएं युवाओं में अब आम सी हो गई है। आज इसी से सम्बंधित लंबर स्पॉन्डिलाइटिस समस्या के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। 

 आइये समझते है , कि लंबर स्पॉन्डिलाइटिस क्या है और इसके शुरुआती लक्षण क्या है -

लम्बर स्पॉन्डिलाइटिस को आर्थराइटिस का ही एक रूप माना जाता है,यह मुख्यतः मरीज़ की रीड़ की हड्डी (स्पाइन ) को प्रभावित करता है जिसमे स्पाइन के निचले हिस्से में मरीज़ को दर्द का अहसास होता है जिसका मुख्य कारण वर्टिब्रल जॉइंट में सूजन को माना जाता है। 

लंबर स्पॉन्डिलाइटिस होने का कारण क्या है ?

आमतौर पर यह समस्या गलत पोस्चर में बैठने के कारण होती है लेकिन इसके अतिरिक्त क्षमता से अधिक वजन को उठाने ,झटके से खड़े होने ,घंटो लैपटॉप या मोबाइल फ़ोन चलाने , अधिक समय तक लगातार एक ही पोजीशन में बैठे रहने और अत्यधिक वजन होने आदि से ये समस्याएं मरीज़ में देखने को मिलती है। 

                 कई बार डिस्क का अपनी जगह से हिल जाने की वजह से भी ये समस्या मरीज़ को हो जाती है इसमें कमर की L4-L5 नस प्रभावित होती है ,जिससे मरीज़ को दर्द महसूस होता है। 

आइये समझते है की इसे कैसे पहचाने - लंबर स्पॉन्डिलाइटिस में मरीज़ को शुरुआती दौर में कमर में दर्द व अकड़न महसूस होती है ,जिससे मरीज़ को चलने उठने बैठने में समस्या महसूस होती है ,यदि इसका समय पर इलाज न कराया जाय तो यह दर्द मरीज़ को गर्दन में भी महसूस होने लगता है। 

आइये समझते है कि ,लंबर स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या किस प्रकार शरीर को प्रभावित करती है -

लंबर स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या स्वस्थ से स्वस्थ व्यक्ति को बीमार कर देती है व्यक्ति अपने दैनिक कार्यों को भी करने में असहज महसूस करने लगता है। लंबर स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या व्यक्ति के जीवन को बुरी तरह प्रभावित करता है इसके कारण मरीज़ को चलने उठने बैठने में बहुत परेशानी महसूस होती है। शुरुआती दौर में हम इसे सामान्य सा कमर दर्द समझ कर नजरअंदाज करने लगते है लेकिन लम्बे समय तक यह स्थिति रहने पर यह गंभीर रूप ले लेती है। अतः लापरवाही न करे और जल्द से जल्द डॉक्टर से अपना इलाज करायें। 

इन समस्यों के मरीज़ को  हमारे विषेशज्ञों के द्वारा कुछ जांचे सजेस्ट की जाती है जैसे  -

लंबर स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या से बचाव के कुछ उपाय -

 

 

 

 

पार्किंसंस  रोग के लक्षण ,कारण और इलाज 

पार्किंसंस रोग ,न्यूरोलॉजिकल सिस्टम यानि तंत्रिका तंत्र से सम्बंधित समस्या होती है। जिसमे दिमाग का वो हिस्सा काम करना बंद कर देता है जो हमारे शरीर की गतिविधियों  को नियंत्रित करता है। दिमाग ठीक से काम करना बंद कर देता है और शरीर के अंगो पर से कण्ट्रोल खत्म होने लगता  है।

              अमूमन यह समस्या बढ़ती उम्र में 60 वर्ष के बाद से देखने को मिलती है। जरुरी नहीं है की यह समस्या बुजुर्गों को ही ,कई बार बच्चे भी अनुवांशिकता के कारण इस बीमारी के शिकार हो जाते है। भारत में हर साल करीबन 10 लाख से भी ज्यादा लोग इस बीमारी के शिकार होते है। 

आइये समझते है कि ,पार्किंसंस रोग क्या है ?

पार्किंसंस रोग या बीमारी मूवमेंट सम्बन्धी एक डिसऑर्डर है जिसमे हाथ या  पैर से दिमाग तक पहुंचने वाली नसें या तंत्रिका काम करने में असमर्थ हो जाती है, इसमें व्यक्ति अपने हाथ पैरों पर से नियंत्रण खो बैठता है। आमतौर पर जब दिमाग को सन्देश देने वाला डोपामाइन का स्तर कम हो जाता है तब यह बीमारी होती है। 

पार्किंसंस रोग के मुख्य कारण क्या है ?-

पार्किंसंस  बीमारी के कारण अभी पूर्णतः स्पष्ट नहीं है। डॉक्टर्स बताते है जब डोपामाइन नमक रसायन का स्तर गिरने या कम होने लगता है , तो वह शरीर के बाकी अंगो से मिलने वाले संकेतो को दिमाग तक भेजना बंद कर देता है जिसके परिणामस्वरूप मरीज़ को चलने फिरने में परेशानी होती है। यह रोग कई बार अनुवांशिक कारणों से भी हो जाता है।  

आइये समझते है कि इसे कैसे पहचाने - बढ़ती उम्र में यदि किसी मरीज़ को हाथों पैरों में कम्पन ,अकड़न व सुन्नपन महसूस होता है ,एवं दिमाग ठीक से काम करना बंद कर दे या शरीर के हिस्सों पर कण्ट्रोल न रहे ,शारीरिक क्रियाओं को तेजी से न कर पाना ,झुककर चलना ,अचानक गिर पड़ना ,याददाश्त कमजोर होने लगना आदि  ये सभी लक्षण पार्किंसंस डिजीज के हो सकते है। 

पार्किंसंस बीमारी के लक्षण - पार्किंसंस रोग के लक्षण सभी व्यक्तियों में अलग -अलग  हो सकते है ,पार्किंसंस की बीमारी का विकास धीरे -धीरे होता है इसलिए इसके सामान्य लक्षण भी धीरे -धीरे नजर आते है। इसके शुरूआती लक्षण हल्के या न के बराबर होते है इसकी खास बात यह होती है की  यह शरीर के एक तरफ से शुरू होते है और दूसरी तरफ के अंगो को भी प्रभावित करता है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों को यह बीमारी अधिक प्रभावित करती है। 

इनके कुछ सामान्य लक्षण कुछ इस प्रकार हैं -

इसके अतिरिक्त कुछ अन्य लक्षण भी देखने को मिलते है जैसे -

पार्किंसंस कई चरणों में शरीर को प्रभावित करता है -

पार्किंसंस के मरीज़ को कुछ खाद्य पदार्थो के सेवन से बचना चाहिए -

 

 

 

 

साइटिका - जाने इसके लक्षण ,कारण व इलाज 

वर्तमान समय में आधुनिक जीवनशैली में ख़राब खान -पान व शारीरिक श्रम का अभाव दिन प्रतिदिन कई समस्याओं को जन्म दे रहा है ,जिसकी वजह से न चाहते हुए भी हम कई प्रकार की बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं ,ऐसी ही एक समस्या है साइटिका। यह एक प्रकार की नस होती है जिसमे तनाव या सूजन होने की वजह से मरीज़ को कमर के पिछले हिस्से से दर्द पैर के अंगूठे तक जाता है जिसमे मरीज़ को खिचाव झनझनाहट व चलने उठने बैठने में तेज दर्द महसूस होता है।

आइये समझते है की साइटिका क्या है ?

                

साइटिका की समस्या कमर से सम्बंधित नसों में सूजन आ जाने के कारण होती है। जिसमे मरीज़ को पूरे पैर में असहनीय दर्द होता है। इसकी मुख्य वजह कमर की डिस्क का अपनी जगह से किसी कारण से हट जाने /हिल जाने से नसों में दबाव के कारण खून का संचार ठीक से न हो पाने के कारण होता है। यह दर्द कमर के पिछले हिस्से से कूल्हे जांघ घुटने से होकर पैर के अंगूठे  तक जाता है। गंभीर स्थिति में मरीज़ को चलने उठने बैठने में दिक्कत होती है पैर में खिचाव भारीपन अकड़न व झनझनाहट महसूस होती है। 

 

    ये समस्याएं क्षमता से अधिक वजन उठाने से  ,गिरने या चोट लगने से ,लम्बे समय तक एक ही पोज़िशन में बैठे रहने से या अत्यधिक वजन होने के कारण होती है ,इसमें दर्द की मुख्य वजह नसों (L3-L4 ,L4-L5 ,L5-S1) में दबाव को माना जाता है। नसों में खून का ठीक से संचार न हो पाने की वजह से ये समस्याएं होती है। 

 साइटिका के लक्षण क्या है आइये जानते है -

आइये समझते है, कि साइटिका होने के कारण क्या होते है -

साइटिका हमारी दैनिक दिनचर्या को किस प्रकार प्रभावित करता है -

साइटिका की समस्या होने पर मरीज़ को शरीर में कमजोरी महसूस होती है ,चलने उठने- बैठने में बहुत समस्या होती है ,अत्यधिक दर्द के कारण हमारे आसान से आसान दैनिक कार्य को करने में भी परेशानी होती है अतः साइटिका का सही समय पर इलाज कराये। 

 

साइटिका होने के बाद क्या सावधानी बरतनी चाहिए -

 

 

 

 

स्लिप डिस्क क्या होता है ? इसके लक्षण ,कारण व इसका इलाज 

आज के इस आधुनिक दौर में ,जहाँ हम कई सारी उपलब्धियां हासिल कर चुके है,वही हमें इसके नुकसान भी उठाने पड़ रहे है। कंप्यूटर और मोबाइल के दौर में घंटो एक ही जगह बैठे बैठे रहना या गलत पोजीशन में बैठने व्यक्ति के स्वस्थ्य के लिए अत्यधिक हानिकारक साबित हो सकता है। जैसे कि बात की जाए कमर या गर्दन से जुडी परेशानियों की ,कई लोगो में स्लिप डिस्क की समस्या देखने को मिल रही है। कुछ समय पहले तक इसका प्रभाव ज्यादातर बढ़ती उम्र में देखने को मिलता था। लेकिन अब युवाओं में भी ये समस्याएं देखने को मिल रही है। 

आखिर स्लिप डिस्क क्या है ?

              

हमारी रीढ़ की हड्डी (स्पाइन ) में कशेरुकाएँ यानि वेर्टेब्रा  होती है जिन्हे सहारा देने के लिए छोटी गद्देदार डिस्क होती है जो किसी प्रकार के झटके या चोट से हमारी स्पाइन की रक्षा करती है व स्पाइन में लचीलापन बनाए रखने में मदद करती है। इसके दो भाग होते है - एक अंदरूनी भाग जो नरम होता है और दूसरा बाहरी भाग कठोर होता है ,जब बाहरी हिस्सा या रिंग कमजोर पड़ने लगता है तो अंदरूनी भाग बाहर की ओर आने लगता है जिसकी वजह से सर्वाइकल / लंबर की नसों में दबाव पड़ता है और मरीज़ को अत्यधिक दर्द होता है। 

 

आइये समझते है कि स्लिप डिस्क कितने प्रकार के होते है -ये तीन प्रकार के होते है -

आइये विस्तार से समझते है -

स्लिप डिस्क होने के कारण क्या है -

स्लिप डिस्क होने के कई कारण होते है ,परन्तु आमतौर पर यह क्षमता से अधिक/ झटके से वजन उठाने ,लम्बे समय तक गलत पोजीशन में बैठे रहने , कंप्यूटर या लैपटॉप पर लम्बे समय तक झुक कर काम करने की वजह से ,गिरने या किसी चोट की वजह से या कई बार अधिक वजन होना भी स्लिप डिस्क की समस्या होने का कारण बन जाता है। 

 स्लिप डिस्क के लक्षण क्या  होते है -

आइये समझते है कि किस प्रकार ये समस्या विभिन्न चरणों में बढ़ती है -

स्लिप डिस्क से बचाव कैसे करे -

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